मोरिंगा के फायदे और नुकसान

मोरिंगा क्या है ?

मोरिंगा को “ड्रमस्टिक ट्री” या “चमत्कारिक पेड़” भी कहा जाता है। मोरिंगा ओलीफेरा, जिसे हम सहजन के नाम से जानते हैं। मोरिंगा एक ऐसा पौधा है जिसका हर हिस्सा (पत्ता, दाल, जड़, बीज) औषधीय गुणों से भरपूर होता है। सहजन में बीटा कैरोटिन, एमिनो एसिड और कई प्रकार के फिनॉलिक पाए जाते हैं। मोरिंगा की छाल गोंद बनाने के लिए जबकि इसके फूलों का प्रयोग हर्बल टॉनिक के रूप में किया जाता है।मोरिंगा पाउडर, सहजन की सूखी पत्तियों का पाउडर होता है, जिसका डिमांड कुछ समय से सुपरफूड के तौर पर बहुत तेजी से बढ़ा है क्योंकि मोरिंगा कई बीमारियों से छुटकारा पाने में मददगार है । यह  का देशज है तथा दक्षिण अशिया एवं दक्षिण-पूर्व एशिया में इसका बहुतायत में उपयोग किया जाता है।

मोरिंगा के फायदे

  • उर्जा से भरपूर होता है:-मोरिंगा में मैग्नीशियम और आयरन की भरपूर मात्रा पाई जाती है।
  • त्वचा को चमकदार बनाने में:-मोरिंगा के बीज का तेल त्वचा पर लगाने से त्वचा की चमक हमेशा बरकरार रहती है।  क्योंकि इसमें विटामिन ए,विटामिन सी और विटामिन ई प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। विटामिन ए त्वचा की सुंदरता को बरकरार रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वटामिन सी पिगमेंटेशन को कम कर त्वचा के रंग में सुधार और मुंहासों की परेशानियों को कम करता है। और विटामिन ई बढ़ते उम्र की झुर्रियों को ठीक करने में मदद  करता है।
  • बच्चों के लिए:-पोषक तत्वों से भरपूर मोरिंगा गोंड बच्चों के लिए फायदेमंद होता है। बच्चों के फिजिकल और मेंटल को बेहतर बनाने में यह मदद कर सकता है। मोरिंगा  में कैल्शियम लोहा मैग्नीशियम फास्फोरस आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. शरीर में कैल्शियम बच्चों की हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं। इसमें बच्चो के विकास के लिए आवश्यक सभी तत्त्व पाए जाते है ।
  • पाचन बनाए बेहतर:-इसमें 90 तरह के मल्टीविटामिन्स, 45 तरह के एंटी आक्सीडेंट गुण, 35 तरह के दर्द निवारक गुण और 17 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं। जो पाचन को बेहतर बनाने में सहायक है। इसका नियमित रूप से सेवन करने पर आपको कुछ ही दिनों में फायदे नजर आ सकते हैं। आप इसे काढ़े के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। पेचिश, दस्त, कोलाइटिस आदि जैसे पाचन से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए भी मोरिंगा का उपयोग किया जाता है। एक चम्मच मोरिंगा के पत्तियों के रस को एक चम्मच शहद में, नारियल पानी मिलाकर पीने से पाचन संबंधित तमाम समस्याओं से आपको राहत मिलती है.
  • उच्च रक्तचाप में:-जिन व्यक्ति जिन लोगों को उच्च रक्तचाप की समस्या होती है। उन्हें सहजन की पत्तियों का रस निकाल कर इस का काढ़ा बनाकर सेवन करने से राहत मिलती है।ड प्रेशर की समस्या को दूर करने में सफेद मोरिंगा गोंद का इस्तेमाल काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।यह हाई ब्लड प्रेशर के दौरान होने वाली घबराहट से राहत दिला सकता है।
  • मेनोपॉज में फायदेमंद:-मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में चिड़चिड़ापन ज्यादा रहता है। पीरियड्स बंद होने के बाद महिलाओं के शरीर में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं आने लगती है, जैसे- भूख न लगना, हड्डियों का कमजोर होना, मूड स्विंग की समस्या, प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना, इत्यादि। मोरिंगा पाउडर इन स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा  दिलाने में मदद कर सकता है।
  • शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में:-पुरुषों में या शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के साथ साथ उनकी वीर्य को गाढ़ा करने में भी मददगार होता है.

मोरिंगा के नुकसान 

  • लीवर रोगी को मोरिंगा नहीं खाना चाहिए। मोरिंगा पाउडर या सहजन की पत्तियां लीवन को नुकसान पहुंचाती है।
  • यदि आपको हार्ट की कोई समस्या है, या आप हृदय रोगी है तो आपको मोरिंगा की पत्तियों से बने किसी भी चीज का सेवन करने से बचना चाहिए। या डॉक्टर का सलाह लेने के बाद ही सेवन करें।
  • लो ब्लड प्रेशर वाले लोगों को मोरिंगा पाउडर के सेवन से बचना चाहिए।
  • पीरियड्स के दौरान मोरिंगा का सेवन पित्त को बढ़ाता है. इसलिए इस दौरान इसका सेवन करने से बचें.
  •  ब्लीडिंग डिसऑर्डर की समस्या है, वो भी इसे ना लें.
  • प्रसव के कुछ हफ्ते बाद ही इसका प्रयोग करना चाहिए.

 

how to increase eye sight naturally आँखों की रोशनी नैचुरली कैसे बढ़ाये

how to increase eye sight naturally

आँखों की रोशनी नैचुरली कैसे बढ़ाये (how to increase eye sight naturally)

आंखें हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है जिससे हम इस खूबसूरत दुनिया को देख सकते है।  ज़िन्दगी की सुंदरता को देखने के लिए आँखें होने के साथ-साथ उनका स्वस्थ होना भी आवश्यक है।आंखे हमारी इतनी मदद करती है तो हमारा भी फ़र्ज़ बनता हैं कि हम भी इनका भली भाँति से ख्याल रखें। उम्र बढ़ने के साथ हमारी आँखों  दृष्टि भी कमजोर होने लगती है। आज  के समय में मोबाइल, टीवी और लैपटॉप पर लोगों का ज्यादा समय बीतता है जो हमारी आंखों को नुकसान पहुंचाता है. इसका असर आंखों की रोशनी पर भी पड़ता है। आज के इस लेख में हम आपको को बताएँगे आँखों की रौशनी नैचुरली कैसे बढ़ाये(how to increase eye sight naturally).

भोजन में जरूरी पोषक तत्वों की कमी से आँखों की रोशनी में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आंखों की रोशनी को बढ़ाने के लिए आप अपनी डाइट में कुछ चीजों को शामिल कर सकते हैं। ये चीजें नेचुरल तरीके से आपकी आंखों की रोशनी बढ़ाने का काम करती हैं।  विटामिन-सी, विटामिन-ए और विटामिन-ई, जिंक, ल्यूटिन, जियाजैक्थीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड हमारी आँखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते है

आँखों की रोशनी कम होने के लक्षण

आँखों की रोशनी कम होने से पूर्व ही लक्षणों को पहचान कर आँखों को खराब होने से बचाया जा सकता है।

  1. पढ़ते समय बार-बार सिर दर्द  की शिकायत होना
  2. पढ़ते समय धुंधला दिखाई देना तथा सही प्रकार से न पढ़ पाना।
  3. आँखों में दर्द होना।
  4. दूर की वस्तुएँ देखने में असमर्थता।
  5. पास का देखने में परेशानी
  6. फोकस करने में दिक्कत या दूर से धुंधला दिखने की समस्या
  7. डबल विजन की समस्या
  8. अंधेरे से एकदम रोशनी में जाने में देखने में परेशानी होना
  9. आंखों पर दबाव महसूस होना

आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए? (what to do for Improve Eye Sight)

स्वस्थ आँखों के लिए पौष्टिक आहार का सेवन

  1. खट्टे फलों को अपने आहार में शामिल करे जैसे संतरे, अंगूर, नींबू और जामुन तो वही पपीते का सेवन।
  2. विटामिन सी, विटामिन ए और बीटा कैरोटिन से युक्त आहार का सेवन करें,
  3. विटामिन-ए के लिए गेहूँ से बने उत्पाद तथा नट्स का सेवन करें।
  4. ओमेगा-3 फैटी एसिड्स का सेवन आँखों के लिए बेहद जरूरी होता है। इसलिए अलसी के बीजों का सेवन करें।
  5. नट्स में अच्छी मात्रा में विटामिन ई पाया जाता है इसलिए नट्स का सेवन करें, जैसे- अखरोट, बादाम, पिस्ता, मूंगफली आदि।

आँखों की रोशनी बढ़ाने के उपाय (Tips to improve EyeSight)

  1. टीवी या कंप्यूटर स्क्रीन्स को देखने के बीच में कुछ समय का अंतराल जरूर लें।
  2. आँखों को आराम देने के लिए एक अच्छी नींद लें।
  3. पढ़ते समय रोशनी का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बहुत हल्की रोशनी में पढ़ने या लिखने से आँखों पर जोर पड़ता है।
  4. धूल; प्रदूषण एवं तेज धूप से आँखों को बचाना चाहिए
  5. आँखों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए स्मोकिंग का इस्तेमाल न करें

आंखों के लिए एक्सरसाइज

  1. भस्त्रिका प्राणायाम ये योगासन हैं।
  2. हथेली से आंख को ढंकना 5 से 10 मिनट के लिए।
  3. आंखों को ऊपर-नीचे की और घुमाना।
  4. आँखों की मालिश या मसाज भी आंखों के लिए एक्सरसाइज का एक अहम् हिस्सा है जो आँखों की रोशनी तेज करने के साथ-साथ अन्य भी लाभ पहुंचाता है।

आँखों की रोशनी बढ़ाने के घरेलु उपाय

  1. त्रिफला को रातभर भिगोकर सुबह छानकर इस पानी को एक महीने तक piye
  2. छोटे टुकड़े फिटकरी को सेंककर 100 ग्राम गुलाबजल में डालें और  प्रतिदिन रात में सोते समय इस गुलाबजल की 4–5 बूँदे आँखों में डालें।
  3. गाय का घी विटामिन और मिनरल्स से भरपूर है। इसलिए हर रोज़ आपको अपनी आँखों पर घी से हल्की मालिश करनी चाहिए।
  4. आंवले में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट पर्याप्त मात्रा में होता है। इसके प्रतिदिन सेवन करने से आँखें तेज होती है ।

क्या है हाइट बढ़ाने के आसान उपाय

हाइट बढ़ाने के आसान उपाय

आज के समय में हर माता पिता अपने बच्चों के स्वास्थय को लेकर चिंतित रहते है। इन्ही चिंताओं में से एक है हाइट नहीं बढ़ाना। क्योंकि  लंबाई अच्छी हो तो आत्मविश्वास भी बढ़ता है। इस लिए हर एक मातापिता  अपने बच्चों की हाइट बढ़ाने  के उपाय खोजते रहते है। हालांकि हाइट बढ़ाने का कोई शॉर्टकट नहीं है।

बच्चे की हाइट माता पिता के आनुवंशिक गुणों पर निर्भर करती है। हाइट  बढ़ाने में 60 से 70 फीसदी जीन कारक होता है। लेकिन बच्चों की हाइट बढ़ने के उपाय कर भी बच्चो की हाइट बढ़ाई जा सकती है। डॉक्‍टरों का तो यहाँ तक कहना है कि कुछ ऐसे प्राकृतिक उपाय हैं जो वयस्क होने के बाद भी आपकी हाइट को प्रभावित कर सकते हैं। आज के इस लेख में हम जानेगें की बच्चों की हाइट बढ़ाने के उपाय के बारे में।

1. पौष्टिक डाइट

कई बार सही डाइट नहीं  लेने पर भी आपकी हाइट रुक जाती  है। आपको अपनी डाइट में दूध, फल, हरी सब्ज़ियां, मीट और कार्ब्स से भरपूर फ़ूड  लेना चाहिए।  इससे हार्मोन्स को पोषक तत्व  मिलते हैं और यह बॉडी की ग्रोथ में सहायक भी होते हैं। कैल्शियम, विटामिन डी, फॉस्फोरस और प्रोटीन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर बैलेंस डाइट बोन हेल्थ के लिए जरूरी हैं। डाइट में डेयरी प्रोडक्ट्स, हरी पत्तेदार सब्जिां, फल, लीन मीट और साबुत अनाज शामिल करें। शराब पीना, सिगरेट और ड्रग्स का सेवन करना बहुत बुरा है और शरीर के लिए हानिकारक भी।  अगर आप अच्छी हाइट पाना चाहते हैं तो इन तमाम चीज़ों से परहेज़ करें।

2. नियमित व्यायाम करें 

नियमित तोर पर व्यायाम कर भी हाइट को बढ़ाया जा सकता है। यहां जानिए, हाइट बढ़ाने वाली सबसे अच्छी एक्सरसाइज कौन सी है?

  1. रस्सी कूदना:
  2. स्विमिंग
  3. लटकाना
  4. जॉगिंग
  5. कूदना और छलांग लगाना
  6. स्ट्रेचिंग

3. पर्याप्त नींद लें

शरीर की ग्रोथ और सेहत के लिए अच्छी नींद जरूरी होती है। कम सोने वाले किशोरों की लंबाई कम रह जाती है। नींद के दौरान शरीर ग्रोथ हार्मोन का उत्पादन करता है, जो हड्डियों और मांसपेशियों के विकास में सहायक है। वहीं नींद पूरी न होने से शारीरिक विकास रुक जाता है। जब आप पर्याप्त मात्रा में नींद लेंगे तो न‍िश्चित ही आपकी हाइट बढ़ेगी। बच्चों के लिए कम से कम 10 से 12 घंटे की नींद बेहद जरूरी है, इसलिए बच्चे को रात में जल्दी सुलाने की कोशिश करें।

4.हाइट बढ़ाने वाले योगासन

  1. ताड़ासन:यह आसन पूरे शरीर को खिंचाव देता है और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखता है, जिससे लंबाई बढ़ने में काफी  मदद मिलती है। ताड़ासन के अभ्यास के लिए सीधे खड़े होकर दोनों हाथ सिर के ऊपर उठाएं। अब उंगलियों को आपस में फंसाकर हथेलियों को ऊपर की ओर करें। पैरों की एड़ियों को उठाकर पंजों पर खड़े हों। जितना संभव हो, शरीर को ऊपर की ओर खींचें।
  2. वृक्षासन: इसे करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं। अब दाहिने पैर के घुटने को मोड़ कर दाहिने पैर के तलवे को बाएं पैर की जांघ पर लगाए और बाये पैर पैर अपना संतुलन बनाने की कोशिश करें। वृक्षासन का अभ्यास करने से पैर, टखनों, जांघों, पिंडलियों और घुटनों की मांसपेशियां मजबूत होती है जिससे लम्बाई में वृद्धि होती है ।
  3. सुखासन: लम्बाई बढ़ाने के उपाय में से एक सुखासन किया जा सकता है। यह आसन कमर, गर्दन व पैर के साथ-साथ हाथों में खिंचाव पैदा करता है, जिससे हाइट बढ़ने में सहायता मिल सकती है। फिलहाल, इस तथ्य की पुष्टि के लिए कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं।
  4. पश्चिमोत्तानासन: इस आसन को करने से  रीढ़ की हड्डी और हैमस्ट्रिंग को लचीला बनाने में मदद करता है। इस आसन को करने के लिए जमीन पर बैठ जाएं और दोनों पैरों को सामने फैलाएं। अब सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और हाथों से पैरों की उंगलियों को छूने की कोशिश करें। इस दौरान घुटनों को मोड़ें नहीं और सिर को घुटनों तक ले जाने का कोशिश करें। यह आसन रीढ़ की हड्डी को लंबा करने में मदद करता है।

5.पोस्चर या मुद्रा

कई बार कुछ लोग लम्बे कद के होने के बावजूद भी छोटे लगते है जिसका कारण है उनका पोस्चर सही होना। वे लोग विभ्भिन योगासन के माध्यम से अपना पोस्चर सही कर अपनी हाइट बढ़ा सकते है ।

हार्ट अटैक (Heart Attack) कारण, लक्षण, उपचार

आज के समय में भागदौड़ भरी और तनाव पूर्ण में गलत खानपान के कारण हार्ट अटैक किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। आज के समय में युवाओ में बढ़ती हार्ट अटैक की बीमारी बेहद ही ख़ौफनाख है। हार्ट अटैक तब होता है जब आपके ब्लड वेसेल्स ब्लॉक हो जाते हैं और दिल तक ऑक्सीजन और रक्त  सही से नहीं पहुंच पाता है। ये ज्यादातर ऑर्टरी में ब्लॉकेज के कारण होता है। रक्त प्रवाह में किसी भी तरह की बाधा के कारण यदि दिल को रक्त की सप्लाई ना हो पाए तो हार्ट अटैक आ जाता है. यह हार्ट अटैक को  आम इंसान भी समझने का आसान तरीका हो सकता है। रक्त ही वह पदार्थ है जिसमें सारे पोषक तत्व और पानी होता है जो किडनी, दिमाग, लिवर या हर किसी को एनर्जी, फ्यूल और हाइड्रेशन देता है।

हार्ट अटैक के प्रकार

हार्ट अटैक तीन प्रकार का होता है जो निम्न प्रकार है

एसटी-सेगमेंट एलिवेशन मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन

यह हार्ट अटैक सबसे गंभीर और खतरनाक  हार्ट अटैक होता है। इस हार्ट अटैक कोरोनरी धमनिया  पूरी तरह से ब्लॉक हो जाती है। यह ब्लॉकेज खून का थक्का जम जाने के कारण होता है। इसमें व्यक्ति को अटैक के समय पर छाती के बीच में दर्द होता है लेकिन यह दर्द बहुत तेज नहीं होता है।

नॉन-एसटी सेगमेंट एलिवेशन मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (एनस्टेमी)

हार्ट अटैक आने की वजह कोरोनेरी धमनियों में आंशिक ब्लॉकेज होता है लेकिन दर्द और जकड़न से जुड़े लक्षण स्टेमी यानी एसटी सेगमेंट एलिवेशन माइओकार्डियल इंफार्कशन  जैसे ही होते हैं। ब्लॉकेज से खून का बहाव पूरी तरह से नहीं रुकता है इसलिए थोड़ा काम जानलेवा होता है। समय पर उपचार मिलने पर रोगी की जान बच सकती है ।

कोरोनरी आर्टरी स्पैज्म

इस हार्ट अटैक व्यक्ति को जान खतरा पहली बार तो नहीं होता है लेकिन दोबारा हार्ट अटैक आने की संभावना बहुत अधिक होती है. क्योंकि इसमें हृदय की धमनियां बहुत अधिक सिंकुड़ जाती हैं। और समय पर उचित इलाज नहीं करवाने पैर दूसरी बार भी अटैक आ जाता है ।

हार्ट अटैक के कारण

हार्ट अटैक के निम्न कारण हो सकते है –

  1. अनियमित आहार, जंक फूड खाना, या अधिक मसालेदार भोजन
  2. अनुवांशिकता (Hereditary)
  3. उच्च रक्तचाप के वजह से
  4. धूम्रपान और मादक द्रव्यों का सेवन
  5. मानसिक तनाव
  6. ऑक्सीजन की कमी
  7. उच्च कोलेस्ट्रॉल का स्तर
  8. शरीर की निष्क्रियता
  9. डायबिटीज
  10. महिलाओ में मासिक माहवारी के कारण

हार्ट अटैक के लक्षण

हार्ट अटैक के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कुछ महत्व पूर्ण लक्षण निम्न प्रकार है –

  1. सीने में दर्द, बेचैनी या किसी प्रकार का दबाव
  2. सास फूलना , पसीना आना।
  3. लते वक्त या सीढ़ी चढ़ते वक्त होतो में दर्द होना।
  4. बिना किसी कारण के अत्याधिक थकान महसूस होना
  5. दिल की धड़कन का कम या ज्यादा होना
  6. एक या दोनों बाहों, पीठ, गर्दन, जबड़े या पेट में दर्द महसूस होना

हार्ट अटैक के आयुर्वेदिक उपचार

हार्ट अटैक पड़ने पर आपातकालीन उपचार की आवश्यकता होती है। कुछ दवाइयों एस्पिरिन,थ्रोम्बोलाइटिक्स,एंटीप्लेटलेट एजेंट,दर्द निवारक,बीटा ब्लॉकर्स,ऐस इनहिबिटर,स्टैटिन का आवश्यकता अनुसार  कर प्राथमिक उपचार किया जा सकता है और जल्दी से जल्दी नजदीकी डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए । कुछ सावधानियों और आयुर्वेदिक उपचार के माध्यम से हार्ट अटैक से बचा जा सकता है ।

  1. हेल्दी वेट मेंटेन करें
  2. नियमित व्यायाम करें
  3. ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, और कोलेस्ट्रॉल को सामान्य रखें
  4. तनाव प्रबंधन करने के लिए आप योग और मेडिटेशन करें
  5. स्वस्थ आहार लें
  6. धूम्रपान छोड़ें
  7. ज़्यादा तेल, घी, और ऑयल का सेवन न करें
  8. विटामिन, मिनरल्स और फाइबर से भरपूर भोजन करें
  9. लहसुन और अलसी को अपने भोजन में शामिल करें।
  10. आयुर्वेद के अनुसार अनार हार्ट हेल्थ के लिए सबसे अच्छे फलों में से एक है
  11. अर्जुन छाल की चाय
  12. ज्यादा क्षारीय पदार्थो यथा लौकी,तुलसी, हरा धनिया, पोदीने का सेवन करें
  13. भोजन में सेंधा नमक या काले नमक का सेवन करें

आयुर्वेद चिकित्सा

1.आयुर्वेद चिकित्सा

आयुर्वेद चिकित्सा प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है । आयुर्वेद शब्द दो शब्द आयु और वेद से मिलकर बना है । जो शरीर, मन और आत्मा के संतुलन को बनाये रखने पर आधारित है । आयुर्वेद चिकित्सा का विकास हजारों सालों पहले भारतीय ऋषियों द्वारा  किया गया था । आयुर्वेद चिकित्सा मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में है । सही शब्दों में कहें तो मानव जीवन का प्रकृति के साथ संतुलन बैठकर जीने का विज्ञान ही आयुर्वेद चिकित्सा है । प्रकृति के साथ असंतुलन से विकार उत्पन्न होंगे। और, आयुर्वेद के साथ समग्र कल्याण प्राप्त किया जा सकता है, क्योंकि यह रोकथाम पर जोर देता है । आयुर्वेद चिकित्सा  में आहार परिवर्तन, जड़ी-बूटियाँ, मालिश, योग और ध्यान शामिल हैं।

2. आयुर्वेद चिकित्सा के सिद्धांत

आयुर्वेद चिकित्सा  के मूल सिद्धांत के अनुसार सम्पूर्ण  ब्रह्मांड को पाँच तत्वों से बना हुआ मानते हैं: अंतरिक्ष, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी। ये पांच  तत्व हर चीज़ में मौजूद हैं, जिसमें मानव  शरीर भी शामिल है। ये पांच तत्व  मिलकर तीन दोष या त्रयोगुण  बनाते हैं: वात (अंतरिक्ष और वायु), पित्त (अग्नि और जल) और कफ (जल और पृथ्वी)। जब ये तीनों गुण संतुलन में होते है तो शरीर को पूर्ण स्वस्थ कहा जाता है । इन तीनों गुणों के असंतुलन की अवस्था को दोष या रोग कहा जाता है । जब शरीर बिमारियों से ग्रस्त होता है तो वह मानव को विनाश की ओर ले जाता है।

  1. वात प्रकृति

वात शब्द का अर्थ है हवा की तरह बहना । वात मन और शरीर में सभी  गति से संबंधित शारीरिक कार्यों को नियंत्रित  करता है। यह रक्त प्रवाह, अपशिष्टों की निकासी, श्वास और मस्तिष्क में विचारों की गति को नियंत्रित करता है। वात शुष्क, ठंडा, हल्का, गतिशील, परिवर्तनशील, सूक्ष्म, खुरदरा और तेज होता है।

वात प्रकृति  के लक्षण
  • शरीर बहुत छोटा या बहुत लम्बा hona
  • शरीर में सूखापन रहना
  • दुबला और पतला शरीर
  • शरीर का वजन घट-बढ़ेगा
  • सीखने में शीघ्रता, केवल सतही ज्ञान
  • कमज़ोर याददाश्त
  • चिंता और अवसाद
  • कुछ करने के बाद सोचता है
  • अज्ञात चीजों से डरना
  • ज्यादा बातें करना
  • जोड़ों से “खटखटाने” जैसी ध्वनि के साथ उभरे हुए “गांठदार” जोड़
  • पलकें झपकाने में तेज़ी
  • व्यायाम में अच्छा
  • अनियमित क्रियाकलाप
  • मूडी स्वभाव

पित्त प्रकृति

पित्त दोष दो तत्वों अग्नि और जल के मिलान  से बनता है। ऊर्जा उत्पादन, चयापचय और शारीरिक तापमान  से संबंधित सभी शारीरिक प्रक्रियाएं पित्त दोष ही  नियंत्रित होती हैं। अर्थात  भोजन का पाचन कर शरीर के लिए आवश्यक ऊर्जा का उत्पादन करना और खपत  करना जैसे महत्वपूर्ण कार्य पित्त दोष के द्वारा ही  नियंत्रित होते हैं।

पित्त प्रकृति के लक्षण
  • भावनाओं में ज्यासा बहना
  • सीखने में निपुण होना
  • चीजों को समझने के लिए तर्क और विवेक
  • तीव्र स्मृति,
  • चिंता और तीव्र भावनाएं
  • करने से पहले सब कुछ गणना करता है
  • आक्रामक और ज्यादातर व्यवस्थित
  • अनियंत्रित क्रोध आना
  • दुःखों का सामना नहीं कर सकते
  • मध्यम और मध्यम शरीर प्रकार
  • त्वचा का लाल और ताम्रवर्णी रंग
  • मध्यम शारीरिक वजन
  • सामान्य स्थिति में शरीर का वजन इष्टतम होगा
  • त्वचा पर तिल, ब्लैकहेड्स
  • गतिविधियों में तीक्ष्णता
  • दांतों का पीलापन
  • विलासिता का शौकीन
  • सटीक और गणनापरक गतिविधियाँ
  • सिर पर कम बाल
  • कम उम्र में ही बालों का सफ़ेद होना
  • दरिद्रता
  • शरीर के अंगों और पसीने में दुर्गंध

कफ प्रकृति

कफ मुख्य रूप से दो घटको पृथ्वी और जल से मिलकर  बना है। यह भारी, धीमा, ठंडा, चिकना, कोमल, नाजुक, मोटा, स्थिर, स्थूल और बादलदार होता है। कफ सभी चीजों को संरचना और मजबूती प्रदान करता है। यह शरीर को बनाए रखने के लिए आवश्यक सामंजस्य प्रदान करता है। कफ  सभी कोशिकाओं और ऊतकों  को नमी प्रदान  करता है, जोड़ों को चिकनाई देता है, त्वचा को संतृप्त करता है।
कफ प्रकृति के लक्षण
  • बड़ा, चौड़ा शरीर ढांचा
  • मध्यम भूख
  • गहरी और अच्छी नींद
  • सुखद एवं गहरी आवाज
  • मध्यम पसीना आना
  • अच्छी सहनशक्ति
  • कम प्यास
  • शांत एवं विनम्र स्वभाव
  • वजन बढ़ने की प्रवृत्ति
  • चिकनी एवं चमकदार त्वचा

3.आयुर्वेद चिकित्सा का महत्व

  • आयुर्वेद  व्यक्ति के जीवन, सही सोच, आहार, जीवनशैली और जड़ी-बूटियों के उपयोग में संतुलन पर बारीकी से ध्यान देकर स्वस्थ जीवन  प्रोत्साहित करता है।
  • यह शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विशेषताओं का एक व्यक्तिगत संयोजन
  • स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयों के उपचार में, यह प्रत्येक व्यक्ति की व्यक्तिगत संरचना को ध्यान में रखता है।